भारत में डेयरी व्यवसाय बहुत ही बड़े पैमाने पर होता है, और डेयरी व्यवसाय को सफल बनाने में भैंस पालन बहुत अहम् भूमिका निभाता है। तो अगर आप भी भैंस पालन का व्यवसाय सुरु करना चाहते है, और आप सबसे अच्छी नस्ल की भैंस ढूंढ रहे है तो आज हम आपको कुछ दुधारू पशु या अच्छी भैंस की नस्ल के बारे में बताएँगे| आपको भैंस की नस्लों के बारे में जानकारी होना भी बहुत जरूरी है। सबसे अधिक भैंसो की आबादी वाला देश में भारत पूरे विश्व में पहले नंबर पर आता है| दूध से बने पदार्थो की मांग को देखते हुए भैंस पालन एक अच्छा व्यवसाय बन गया है | भारत में कुल दूध उत्पादन का तक़रीबन 55 प्रतिशत भाग यानि 20 मिलियन टन दूध भैंस पालन से ही प्राप्त होता है | जिस वजह से पशुपालक अधिक दूध देने वाली भैंस की नस्ल का पालन करना ज्यादा पसंद करते है| भैंस पालन व्यवसाय में हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, गुर्जरात में अग्रणी है। भैंस पालन करने वालो में बहुत ही कम लोगो को भैंस की नस्लों के बारे में अच्छी जानकारी होती है | तो आज हम आपको भैंस की कुछ अच्छी नस्लों के बारे में बताएँगे जिससे आप अपने व्यवसाय में अच्छी तरक्की कर सकते है, और अगर आप बिकाऊ भैंस खरीदना चाहते है तो आज ही मेरापशू३६० वेबसाइट पर जाये और अपने लिए अच्छी भैंस ख़रीदे।
सबसे अच्छी नस्ल की भैंस: केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान के अनुसार भारत में कुल 26 नस्ल की भैंस है जिनमे से 12 नस्ले रजिस्टर्ड है और 14 नस्ल भी भैंस रजिस्टर नहीं है।
कुल भैंस की नस्ले: भारत में कुल 26 किस्म की नस्ल की भैंस बन्नी, भदावरी, नीलीरावी, जाफराबादी, मेहसाणा, सुर्ती, नागपुरी, पंढरपुरी, परालखेमुंडी, मंडल/गंजम, तोड़ा, स्वैंप, चिल्का, तराई, देशिला, असामी/मंगूस, धारावी, साउथ कन्नारा, जेरंगी, कालाहांडी, संभलपुरी, कुट्टांड, मुर्रा, मराठवाड़ी, गोदावरी और सिकामीस है।
रजिस्टर्ड भैंस की नस्ल: रजिस्टर्ड भैंस की नस्ल में बन्नी, भदावरी, जाफराबादी, नागपुरी, सुर्ती, तोड़ा, नीलीरावी, पंढरपुरी, चिल्का, मेहसाणा, मुर्रा भैंस शामिल है|
भैंस की नस्ल की विस्तृत जानकारी
- मुर्रा भैंस: भैंस की नस्लों में सबसे ज्यादा दूध देने वाली भैंसो के सबसे पहला नाम मुर्रा भैंस का आता है | मुर्रा भैंस सबसे अधिक दूध देने वाली भैंस की नस्ल है | मुर्रा नस्ल की भैंस हिसार, जींद, रोहतक और पंजाब के नाभा व पटियाला जिले में पाली जाती है | लेकिन अब मुर्रा नस्ल की भैंस को कई अन्य राज्यों के पशुपालक भी पालने लगे है| मुर्रा नस्ल की भैंस का रंग गहरा काला होता है, और पूँछ व खुर के निचले हिस्से पर सफ़ेद निसान होते है | मुर्रा नस्ल की भैंस के सींघ छोटे और मुड़े हुए होती है | इस क़िस्म की भैंस का औसतन दूध उत्पादन 1750 – 1850 लीटर प्रति व्यात होता है | इसके दूध में करीब 9 प्रतिशत वसा होती है | मुर्रा भैंस में प्रतिदिन 20 लीटर दूध देने की क्षमता होती है, अगर इस नस्ल की भैसो को अच्छी खिलाई के साथ-साथ अच्छी देख-रेख की जाए तो 30-35 लीटर रोजाना दूध का उत्पादन लिया जा सकता है | इस भैंस की कीमत लाख रूपए से आरम्भ होती है|
- भदावरी भैंस: भदावरी भैंस उत्तर प्रदेश, इटावा, आगरा और मध्य प्रदेश के ग्वालियर में पाला जाता है | भदावरी भैंस के गर्दन के नीचे वाले हिस्से में दो सफ़ेद निसान होते है, तथा खुर का रंग काला होता है | भदावरी भैंस का सिर और पैर दोनों ही आकार में छोटे होते है | इस भैंस का औसतन व्यात 1250-1350 लीटर होता है | भदावरी भैस का औसतन वजन 400 KG होता है|
- जाफराबादी भैंस: जाफराबादी भैंस को गिर भैंस के नाम से भी जाना जाता है। जाफराबादी भैंस गुजरात के कच्छव, जामनगर जिले में पाई जाती है। जाफराबादी भैंस का रंग गहरा काला होता है तथा इनके सिर और गर्दन का आकर भी बड़ा होता है और इनके सींग का आकार काफी बड़ा और पीछे की तरफ मुड़ा हुआ होता है। जाफराबादी नस्ल की भैंस भारत की सबसे ज्यादा बजन वाली भैंस की नस्लों में से एक है। जाफराबादी भैंस सालभर में औसतन 1500-2500 लीटर दूध देती है। जाफराबादी भैंस की कीमत 50 हज़ार रूपए से सुरु होकर 1 लाख 50 हज़ार या उससे भी ज्यादा होती है।
- नागपुरी भैंस: जैसा की नागपुरी भैंस के नाम से ही साफ पता चलता है की ये भैंस नागपुर में पाली जाती है। नागपुरी नस्ल की भैंस महाराष्ट्र के नागपुर और निकटवर्ती इलाकों में पाई जाती है। नागपुरी नस्ल की भैंस की खासियत है कि ये किसी भी प्रकार के मौसम या वातावरण में आसानी से फिट हो जाती है। नागपुरी नस्ल की भैंसें दुधारु होती है, साथ ही इस नस्ल के भैंसा काफी मजबूत और कृषि कार्यों में मददगार होते हैं। नागपुरी नस्ल की भैंस सालभर में 760 से 1500 लीटर दूध का उत्पादन करती है। नागपुरी नस्ल भैंस की कीमत 40 हज़ार से सुरु होकर 1 लाख रुपए या उससे ज्यादा भी होती है, भैंस की कीमत उसके दूध देने की छमता और ब्यात पर आधारित होती है।
- सुर्ती भैंस: सुर्ती नस्ल की भैंस गुजरात के खेड़ा और बड़ौदा जिले में पाई जाती है। सुर्ती नस्ल की भैंस की दूध उत्पादन की औसत क्षमता 900 से 1300 लीटर प्रति ब्यांत होती है। इस भैंस की नस्ल के दूध में 8 से 12 प्रतिशत वसा की मात्रा पाई जाती है। इस नस्ल का रंग भूरा, सिल्वर सलेटी या फिर काला होता है। इसका साइज मीडियम होता है। धड़ नुकीला और सिर लंबा होता है। इनके सींग दराती के आकार के होते हैं। सुर्ती नस्ल भैंस की कीमत 50 हज़ार से 80 हज़ार रुपए के लगभग होती है।
- तोड़ा भैंस: जैसा की नाम से ही पता चलता है की टोड़ा नस्ल की भैंस का नाम टोड़ा आदिवासीयों के नाम पर रखा गया है। टोड़ा भैंस ज्यादातर दक्षिण भारत के टोड़ा आदिवासी इलाको में और तमिलनाडु की नीलगिरी पहाड़ियों में पाई जाती है। टोड़ा नस्ल की भैंस को पालने में खास सावधानी बरतने की जरूरत होती है। टोड़ा नस्ल की भैंस के शरीर पर काफी मोटा बालकोट पाया जाता है और ये बहुत ही मजबूत कद वाली भैंस है जो की एक व्यात में 500-600 किलोग्राम देउड़ देती है और इनके दूध में वसा की मात्रा 8 प्रतिशत होती है। टोड़ा नस्ल भैंस की कीमत 80 हज़ार से सुरु होकर 1 लाख रुपए या उससे ज्यादा भी होती है, भैंस की कीमत उसके दूध देने की छमता और ब्यात पर आधारित होती है।
- नीलीरावी भैंस: नीलीरावी भैंस एक क्रॉस ब्रीडिंग वाली भैंस है। निलिरावी भैंस नीली और रावी भैंस की क्रॉस ब्रीडिंग है। निलि रावी क्रॉस ब्रीडिंग वाली ये भैंस पंजाब में काफी फेमस है, फिरोज़पुर के ग्रामीण इलाकों में पाई जाने वाली इस भैंस की सेहत मजबूत होती है. इससे साल भर में 2500 से 5000 लीटर तक दूध मिल जाता है। नीली रावी भैंस की कीमत लगभग 1 लाख रूपए के आस पास या उससे ज्यादा हो सकती है। लेकिन आप इस भैंस को सरकारी इस्कीम और ऑनलाइन ऑफर्स के साथ 50 हज़ार तक भी खरीद सकते है।
- पंढरपुरी भैंस: पंढरपुरी भैंस का नाम सोलापुर के पंढरपुर गांव के नाम पर पड़ा है। पंढरपुरी नस्ल की भैंस ज्यादातर महाराष्ट्र के कोल्हापुर, सोलापुर, रत्नागिरी जैसे जिलों में पाई जाती है। इस नस्ल की औसत दूध उत्पादन क्षमता 1700-1800 प्रति ब्यांत होती है। इस नस्ल की भैंस के दूध में वसा की मात्रा 8 प्रतिशत पाई जाती है। पंढरपुरी नस्ल की भैंस अपनी प्रजनन क्षमता के लिए प्रसिद्ध है। यह हर 12-13 महीने में बछड़ा जन्म देने की क्षमता रखती है। प्रजनन के बाद 305 दिन तक यह दूध दे सकती है, जो कि इन्हें अन्य नस्लो से पृथक करता है। पंढरपुरी नस्ल की भैंसों के सींग 45-50 सेमी तक लंबे होते हैं। इसे धारवाड़ी नाम से भी जाना जाता है। यह भैंसे सूखे इलाके के लिए सबसे अधिक उपयुक्त है। पंढरपुरी भैंसों का वजन 450 से 470 किलो होता है। यह गहरे और काले रंग की भैंस होती है।